बुधवार, 1 अप्रैल 2020

हिंदी भाषा का विकास

भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है । मनुष्य अपने भावों की अभियक्ति के लिए जिस वाचिक माध्यम का प्रयोग करता है, वह भाषा है। यह मनुष्य की जरूरतों के अनुसार परिवर्तित और विकसित होती रही है। इसलिए यह बताना मुश्किल है कि भाषा की शुरुआत कब और कैसे हुई।

 

भारत में भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ लिखित भाषा का सबसे पुराना साक्ष्य (Evidence) सिंधुघाटी सभ्यता से मिलता है । इसे अब तक पढ़ा नहीं जा सका है। संस्कृत भारत की सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है । भाषा वैज्ञानिकों ने इसका संबंध भारोपीय भाषापरिवार से माना है। इस परिवार को आर्य भाषा परिवार भी कहते हैं। यह विश्व  का सबसे बड़ा भाषा परिवार है। संस्कृत, जर्मन, फ्रैंच, ग्रीक, लैटिन, अँग्रेजी, स्पेनिश, रुसी, ईरानी – जैसी विश्व की अनेक भाषाओं का संबंध इसी परिवार से है। भारत-ईरानी परिवार इसी परिवार की एक मुख्य शाखा है। संस्कृत और ऑवेस्ता इस परिवार की मुख्य भाषाएँ हैं। आगे चलकर भारतीय और ईरानी भाषाएँ अलग हो गईं । हिंदी का संबंध इन भारतीय आर्य भाषाओं से है।


भारोपीय भाषा परिवार
(आर्य भाषा परिवार )





1. योरोपीय भाषाएँ    (जर्मन, लैटिन, ग्रीक, फ्रेंच, अँग्रेजी आदि)                                                                            
2. भारत- ईरानी भाषा परिवार




  i  भारतीय आर्य भाषाएँ         ( संस्कृत  )                                     
                                 ii  ईरानी आर्य भाषाएँ ( ऑवेस्ता की भाषा/मिडी )

भारतीय आर्य-भाषाएँ

     

      इसकी दो शाखाएँ थीं

1.      भारतीय आर्य भाषाएँ
2.      ईरानी आर्य भाषाएँ

      भारत में आर्य भाषाओं का विकास तीन 
सोपानों में माना जाता है

 

1.      प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ :     (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
2.      मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ : (500 ई. पू. 1000 ई. )
3.      आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ :      (सन् 1000 ई.से अब तक )

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ
 (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
      संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।

       इसके दो रूप हैं
1.      वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) वेदों की भाषा ।
2.      लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.) संस्कृत साहित्य की भाषा ।
      
संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है। भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है। वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है । रामायण, महाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ
( 500 ई. पू. 1000 ई. )
(क) पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य

(ख)प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य

(ग)        अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक) 
 
·       अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
·       इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं। 
·       इसके बाद के रूप  को अवहट्ठ कहते हैं ।
·       एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
1.      शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
2.      अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
3.      मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
4.      महाराष्ट्री- मराठी ।
5.      ब्राचड़- सिंधी।
6.      पैशाची- पंजाबी

 अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।


आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ
( 1000 ई. के बाद )
भारत का भाषा मानचित्र
   
1.  कश्मीरी
    2.      हिंदी
    3.      मराठी
      4.      गुजराती

5.      बंग्ला
6.      उड़िया
7.      असमिया
8.      पंजाबी
9.       सिंधी


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