बुधवार, 11 नवंबर 2020

कृष्ण भक्ति और सूरदास

  कृष्ण भक्ति:

कृष्ण भक्ति काव्य के प्रवर्तक बल्लभाचार्य थे । उनके चार और उनके पुत्र के चार शिष्यों को अष्टछाप कवि कहा गया । इनका केंद्र मथुरा था । इन कवियों ने कृष्ण की भक्ति की । इन्होंने कृष्ण की भक्ति सखा या प्रिय के रूप में की । इन कवियों ने कृष्ण के जीवन की लीलाओं का वर्णन किया । इन्होंने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखीं। सूरदास इन कवियों में सबसे प्रसिद्ध कवि हैं । सूरसागरकृष्ण-भक्ति काव्य की सबसे महत्त्वपूर्ण रचना है ।

सूरदास

सूरदास का जन्म 1478 ई. के आस-पास हुआ था । इनके जन्म का स्थान दिल्ली के पास सीही गाँव है। सूरदास जन्म से अंधे थे । वे वृंदावन के श्री नाथ मंदिर में रहते थे । उनके गुरु का नाम बल्लभाचार्य था । सूरदास ने गेय मुक्तक लिखे । सूरदास के नाम से 25 रचनाएँ मिलती हैं । सूरसागरइनमें सबसे प्रसिद्ध है । सूरदास ने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखीं ।  सूरदास की मृत्यु 1581 ई. में हुई थी।

सूरदास की कविता की विशेषताएँ :

1.         सूर की भक्ति सख्य-भाव की है।

2.         उन्होंने कृष्ण को अपना सखा(मित्र) मानकर भक्ति की।

3.         सूरदास ने कृष्ण की  बाल-लीला का वर्णन किया है ।

4.         राधा-कृष्ण के प्रेम का भी वर्णन वर्णन किया है ।

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