बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

कबीर


 कबीर

संत कबीर का जन्म बनारस में संवत् 1455 (1398 ई.) में हुआ था । इन्हें नीरू और नीमा नाम के जुलाहा दंपति ने पाला था । कबीर जुलाहे का काम करते थे । वे ज्ञानमार्गी/ज्ञानश्रयी कवि थे । कबीर अशिक्षित (मसि कागद छूयो नहीं  कलम गही नहिं हाथ) । 

कबीर की वाणी का संकलन बीजकमें है । इसके तीन खंड हैं1. साखी, 2. सबद 3. रमैनी।

कबीर के विचार  :

1.      कविता के बारे में – तुम जिन जानो गीत है वह निज ब्रह्म विचार।

2.      निर्गुण ब्रह्म के बारे में  जाके मुख माथा नहीं नाहीं रूप कुरूप।

पुहुप बास तैं पातरा ऐसो तत्त अनूप ।

3.      ब्रह्म को प्रेमी माना और अपने को प्रेयसी हिरि मोरे पिउ मैं राम की बहुरिया।

4.      प्रेम को महत्व कबीर यह घर प्रेम का खाला का घर नहिं।

5.      मूर्ति-पूजा का विरोध  पाहन पूजे हरि मिलें तौ मैं पूजूँ पहार।

6.      हिंदू-मुस्लिम एकता  हिंदू मुए राम कहि मुसलमान खुदाई।

7.      गुरु का महत्व गुरु गोबिंद दोऊ खड़े काके लागूँ पाँय।

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