शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

भारतीय आर्य-भाषाएँ

 भारतीय आर्य-भाषाएँ

      भारतीय आर्य भाषाओं का संबंध भारोपीय भाषा परिवार की भारत-ईरानी शाखा से है।
      इसकी दो शाखाएँ थीं
1.      भारतीय आर्य भाषाएँ
2.      ईरानी आर्य भाषाएँ
      भारत में आर्य भाषाओं का विकास तीन सोपानों में माना जाता है
1.      प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ :     (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
2.      मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ : (500 ई. पू. 1000 ई. )
3.      आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ      (सन् 1000 ई.से अब तक )

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ
 (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
      संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।
       इसके दो रूप हैं
1.      वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) – वेदों की भाषा ।
2.      लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.)  संस्कृत साहित्य की भाषा ।
      संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है।
      भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है।
       वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है ।
      रामायणमहाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ
( 500 ई. पू. 1000 ई. )
(क) पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य
(ख)प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य
(ग)        अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक)  
·       अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
·       इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं। 
·       इसके बाद के रूप  को अवहट्ठ कहते हैं ।
·       एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
1.      शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
2.      अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
3.      मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
4.      महाराष्ट्री- मराठी ।
5.      ब्राचड़- सिंधी।
6.      पैशाची- पंजाबी
अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ
( 1000 ई. के बाद )
1.      कश्मीरी
2.      हिंदी
3.      मराठी
4.      गुजराती
5.      बंग्ला
6.      उड़िया
7.      असमिया
8.      पंजाबी
9.       सिंधी

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