कृष्ण भक्ति:
कृष्ण भक्ति काव्य के
प्रवर्तक बल्लभाचार्य थे । उनके चार और उनके पुत्र के चार शिष्यों को अष्टछाप कवि
कहा गया । इनका केंद्र मथुरा था । इन कवियों ने कृष्ण की भक्ति की । इन्होंने
कृष्ण की भक्ति सखा या प्रिय के रूप में की । इन कवियों ने कृष्ण के जीवन की
लीलाओं का वर्णन किया । इन्होंने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखीं। सूरदास इन कवियों
में सबसे प्रसिद्ध कवि हैं । ‘सूरसागर’ कृष्ण-भक्ति काव्य की सबसे महत्त्वपूर्ण रचना है ।
सूरदास
सूरदास का जन्म 1478 ई. के आस-पास हुआ था । इनके जन्म का स्थान दिल्ली के पास सीही गाँव है।
सूरदास जन्म से अंधे थे । वे वृंदावन के श्री नाथ मंदिर में रहते थे । उनके गुरु
का नाम बल्लभाचार्य था । सूरदास ने गेय मुक्तक लिखे । सूरदास के नाम से 25 रचनाएँ मिलती हैं । ‘सूरसागर’ इनमें सबसे प्रसिद्ध है । सूरदास ने ब्रजभाषा में कविताएँ लिखीं । सूरदास की मृत्यु 1581 ई.
में हुई थी।
सूरदास की कविता की विशेषताएँ :
1. सूर की भक्ति सख्य-भाव की है।
2. उन्होंने कृष्ण को अपना सखा(मित्र) मानकर भक्ति की।
3. सूरदास ने कृष्ण की बाल-लीला का वर्णन किया है ।
4. राधा-कृष्ण के प्रेम का भी वर्णन वर्णन किया है ।