सोमवार, 6 जुलाई 2020

पूर्वमध्यकाल : भक्तिकाल

 

संवत् 1375 से संवत् 1700 तक

( सन् 1318 ई. से  सन्1643 ई. )

मध्य का अर्थ है- बीच ।  मध्यकाल आदिकाल और आधुनिक काल के बीच का काल है । इसके दो भाग हैं— 1. पूर्वमध्यकाल 2. उत्तरमध्यकाल । पूर्व मध्यकाल का ही दूसरा नाम भक्तिकाल है । यह काल भक्ति-साहित्य के लिए प्रसिद्ध है ।

भक्ति की शुरुआत दक्षिण भारत में हुई । रामानंद ने इसे उत्तर भारत ले गए । उनका संबंध तमिल आलवारों से था । आलवार वैष्णव थे । रामनंद का संबंध इन्हीं आलवारों से माना जाता है । हिंदी के भक्त कवि रामानंद की शिष्य-परंपरा में हैं ।

भक्ति काव्य की  विशेषताएँ : ईश्वर से प्रेम करने को भक्ति कहते हैं । भक्ति काल में भक्ति को विषय बनाकर कविताएँ लिखी गईं। भक्ति काव्य का क्षेत्र-विस्तार पूरे भारत में था।  भक्ति काव्य ने देशी भाषाओं को महत्व दिया। हिन्दी के भक्ति काव्य में ब्रजभाषा, अवधी, राजस्थानी आदि बोलियों में कविताएँ लिखी गईं। इन कविताओं में भक्ति के बाद सबसे अधिक सामाजिक समानता को महत्व दिया। भक्ति काल को हिंदी कविता का स्वर्ण युग कहा जाता है।

 

भक्ति दो प्रकार की होती है—

     भक्ति


 

 


                         सगुण भक्ति                   निर्गुण भक्ति


 


                                   

      कृष्ण भक्ति                 राम भक्ति            ज्ञानाश्रयी              प्रेमाश्रयी

                                                (संत कवि)      (सूफी कवि)