आधुनिक काल (सन् 1850 से अब तक) का परिभाषा और विकास
आधुनिक काल को हिंदी साहित्य के इतिहास में चौथा काल माना जाता है। इसकी शुरुआत सन् 1843 ई. से होती है और यह 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम के बाद पूर्ण रूप से विकसित हुआ। इस युग में भारतीय समाज में आधुनिकता का प्रवेश हुआ, जो फ्रांसीसी क्रांति (1789 ई.) से प्रेरित था। यह युग बदलाव, सामाजिक जागरूकता और व्यक्तिवादी दृष्टिकोण का युग था।
आधुनिकता का अर्थ:
आधुनिकता एक प्रवृत्ति है, जो व्यक्ति, समाज, और राज्य के प्रति नए दृष्टिकोणों को लेकर आई। इसका मूल उद्देश्य था:
- धर्म की जगह विज्ञान का महत्व,
- भावना की जगह तर्क का स्थान,
- ईश्वर की जगह मनुष्य को सर्वोच्च मानना।
इसने व्यक्तित्व, लोकतंत्र, और मानवीय अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसके परिणामस्वरूप राजतंत्र का स्थान लोकतंत्र ने लिया, और समता, न्याय, और बंधुत्व जैसे मानवीय मूल्य प्रबल हुए।
भारत में आधुनिकता:
भारत में आधुनिकता की शुरुआत उन्नीसवीं सदी के अंत में हुई। इस समय ब्रिटिश शासन का प्रभाव था, जिसने कई बड़े बदलावों की शुरुआत की:
- राजनीतिक एकीकरण: छोटे-छोटे राज्यों के विलय के बाद, भारत एक केंद्रीय सरकार के अधीन आ गया।
- आर्थिक एकीकरण: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एकीकृत किया, जिससे व्यापार की प्रणाली में बदलाव आया।
- परिवहन और संचार: रेलवे और अन्य परिवहन के साधनों के विकास से पूरे देश में आपसी संपर्क बढ़ा।
- शिक्षा का यूरोपीकरण: यूरोपीय शिक्षा पद्धति को अपनाकर अँग्रेजी माध्यम से शिक्षा का प्रसार हुआ।
आधुनिकता के महत्त्वपूर्ण कारक:
- 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम: इस युद्ध के बाद भारतीयों में एकता की भावना जागृत हुई और ब्रिटिश सत्ता से मुक्ति की ललक पैदा हुई।
- सामाजिक सुधार आंदोलन: सती प्रथा, विधवा विवाह, और स्त्री शिक्षा जैसे सामाजिक सुधार आंदोलनों ने भारत में सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी।
- प्रेस की स्थापना और समाचार पत्रों का प्रकाशन: प्रेस की भूमिका ने जन जागरूकता में वृद्धि की और समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।
आधुनिक हिंदी साहित्य:
आधुनिक काल को हिंदी साहित्य में गद्य काल भी कहा जाता है। इस काल में:
- गद्य साहित्य का विकास हुआ।
- हिंदी में खड़ी बोली (मानक हिंदी) को साहित्य की भाषा के रूप में अपनाया गया।
- साहित्य ने राष्ट्रीयता, सामाजिक जीवन, और सामान्य मनुष्य को केंद्र में रखा।
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कालविभाजन निम्नलिखित हैं:
भारतेंदु युग (सन् 1850 से 1900 ई.):
- इस काल में कविता और गद्य दोनों का विकास हुआ। भारतेंदु हरिश्चंद्र के योगदान के कारण इसे विशेष महत्व प्राप्त है।
द्विवेदी युग (सन् 1900 से 1918 ई.):
- इस युग में संस्कृत साहित्य और प्रारंभिक हिंदी साहित्य का पुनरुत्थान हुआ।
छायावाद युग (सन् 1918 से 1936 ई.):
- छायावाद में प्रकृति, रुमानिज़्म, और आध्यात्मिकता की प्रमुखता रही। प्रमुख कवि जैसे सुमित्रानंदन पंत, सोरहिंद वर्मा, जयशंकर प्रसाद इस काल के प्रमुख लेखक थे।
प्रगति-प्रयोग युग (सन् 1936 से 1954 ई.):
- यह युग समाजवादी विचारधारा और नवजागरण का समय था। सामाजिक मुद्दों और संघर्षों पर आधारित साहित्य को प्रमुखता मिली।
स्वातंत्र्योत्तर साहित्य (सन् 1947 के बाद):
- यह काल स्वतंत्र भारत के बाद के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों को दर्शाता है।
निष्कर्ष:
आधुनिक काल ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और उसे राष्ट्रीय पहचान प्रदान की। इसके परिणामस्वरूप साहित्य ने न केवल सामाजिक सुधार, बल्कि राष्ट्र निर्माण और मनुष्य के अधिकार को भी केंद्र में रखा।
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