संवत् 1900 (सन् 1843 ई. के बाद) से अब तक
हिंदी साहित्य के
इतिहास में चौथे काल को आधुनिक काल कहते हैं । आधुनिक काल की शुरुआत सन् 1843
ई. से सन् 1857 ई. के बीच
मानी जाती है । अध्ययन की सुविधा के लिए
हम इसे 1850 के बाद मान सकते हैं । बाद मानी जाती है ।
आधुनिकता
का अर्थ : आधुनिकता एक प्रवृत्ति है । इसकी शुरुआत
फ्रांसीसी क्रांति(1789ई.) से मानी जाती है । इसने पूरे विश्व को प्रभावित किया ।
धर्म की जगह पर विज्ञान, भावना की जगह पर तर्क और
ईश्वर की जगह मनुष्य का महत्त्व आधुनिकता की पहचान है । इसके कारण व्यक्तित्व को
महत्व मिला, आधुनिक राष्ट्र का विकास हुआ । राजतंत्र की जगह
लोकतंत्र की शुरुअत हुई । समता, न्याय और बंधुत्व जैसे
मानवीय मूल्यों का आरंभ हुआ।
भारत
में आधुनिकता : भारत
में आधुनिकता की शुरुआत उन्नीसवीं सदी के अंत में हुई । उस समय भारत में ब्रिटेन
का शासन था । सरकार ने अपनी जरूरतों के लिए भारत में कई नये बदलाव किए—
1.
राजनीतिक एकीकरण
2.
आर्थिक एकीकरण
3.
परिवहन के साधनों (रेल) का
विकास
4.
शिक्षा का योरोपीयकरण
5.
अँग्रेजी शिक्षा का प्रसार
राजनीतिक
एकीकरण: 1707 ई.
में औरंगजेब की
मृत्यु हुई । औरंगजेब के बाद भारत में दिल्ली के
मुगल बादशाहों का शासन ढीला हो गया । अवध और बंगाल
के नवाब तथा हैदराबाद के निजाम ने
अपने को स्वतंत्र कर लिया । महाराष्ट्र में मरठा राज्य मजबूत हो गया था । मुगलों का राज्य दिल्ली तक सिमट गया और पूरा
भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया ।
सन् 1757 ई. बंगाल के नवाब और
ईस्ट इंडिया कंपनी में पलासी की लड़ाई हुई । इस लड़ाई में बंगाल के नवाब
सीराजुद्दौला हार गए और ईस्ट इंडिया कंपनी जीत गई । 1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद
ईस्ट इंडिया दिल्ली का मुगल बादशाह भी कंपनी
से हार गया । वह पेंशन पर लाल किले में रहने लगा । वह केवल नाम के लिए भारत का
बादशाह (राजा ) था। भारत की वास्तविक (सच्ची) शासक कंपनी थी ।
मैसूर के राजा टीपू सुल्तान और महाराष्ट्र
के मराठाओं की हार के बाद कंपनी का लगभग पूरे भारत पर राज्य हो गया । इसलिए
छोटे-छोटे राज्यों की जगह एक मजबूत केंद्रीय सरकार ने ले लिया । इससे पूरा भारत
राजनीतिक स्तर पर एक हो गया ।
आर्थिक
एकीकरण : ब्रिटिश इस्ट इंडिया कम्पनी का मुख्य काम
व्यापार था । इसलिए भारत के राजनीतिक एकीकरण के साथ-साथ कंपनी ने पूरे भारत में एक
जैसी अर्थ-व्यवस्था और कर-नीति बनाने की कोशिश की ।
परिवहन
के साधनों का विकास : ईस्ट इंडिया कंपनी एक
व्यापार करने वाली कंपनी थी । उसने भारत में राजनीतिक और आर्थिक अधिकार मिलने के
बाद तेजी से अपने व्यापार को फैलाया । यह भारत का कच्चा माल ब्रिटेन की मीलों तक
पहुँचाने लगी और वहाँ का तैयार माल भारत ले आने लगी । इस माल की ढुलाई और भारत-भर में
संपर्क करने के लिए कंपनी ने भारत में संचार और परिवहन की व्यवस्था की । रेल वे
लाइनें बिछाईं। इसलिए भारत के विभिन्न हिस्सों तक जाना आसान हो गया ।
शिक्षा
का योरोपीयकरण: उन्नीसवीं सदी से पहले भारत में पुराने
ढंग से शिक्षा दी जाती थी । यह शिक्षा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए उपयोगी नहीं थी ।
उसे आधुनिक योरोपीय ढंग से शिक्षित लोगों की जरूरत थी । इसके लिए उसने भारत में
युरोपीय शिक्षा शुरू की । ज्ञान-विज्ञान के नए विषयों की पढ़ाई शुरु की ।
अँग्रेजी
शिक्षा का प्रसार : ब्रिटेन में शिक्षा का माध्यम अँग्रेजी
था और भारत में फारसी या संस्कृत । ईस्ट इंडिया कंपनी (मैकाले) ने भारत में
अँग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की । वह कंपनी के लिए अँग्रेजी जानने वाले क्लर्क तैयार
करना चहता था ।
राजनीतिक एकीकरण और आर्थिक एकीकरण भारत के
लोगों में एकता की भावना पैदा की । परिवहन और संचार के साधनों से भारत लोगों में
करीबी बढ़ी । देश के दो हिस्सों के बीच दूरी (समय) कम हुई । अँग्रेजी भाषा की
शिक्षा और शिक्षा के योरोपीकरण से ज्ञान-विज्ञान के नए विषयों के पढ़ने का अवसर
मिला । अँग्रेजी के द्वारा विश्व-भर के साहित्य और ज्ञान से परिचय मिला और विश्व
में चल रही आधुनिकता की हवा ने भारत के लोगों को प्रभावित किया ।
इनके
अलावा इस समय भारत में आधुनिकीकरण के तीन महत्त्वपूर्ण कारक थे—
1.
1857 का पहला स्वतंत्रता
संग्राम
2.
सामाजिक सुधार आंदोलन
3.
प्रेस की स्थापना और समाचार
पत्रों की शुरुआत
1857
का स्वतंत्रता संग्राम : 1757 की पलासी की लड़ाई के
बाद ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में एक राजनैतिक ताकत बन गई । उसने धीरे-धीरे पूरे
भारत पर अपना राज्य फैला लिया । इसलिए भारत के व्यापार पर उसका अधिकार हो गया ।
कंपनी के लोग भारतीयों को लूटने और परेशान करने लगे । सेना में भारतीय सिपाहियों को
कम वेतन दिया जाता था। अवध और झाँसी जैसे छोटे राज्यों को अपने में मिला लिया और
वहाँ के राजाओं का महत्व समाप्त हो गया।
इन सब कारणों से 1857 में भारतीयों की ईस्ट इंडिया कंपनी से लड़ाई हुई ।
इसमें भारत की जनता, छोटे-छोटे राजा और कंपनी की
सेना के भारतीय सिपाहियों ने कंपनी की सेना से लड़ाई की ।
इस लड़ाई में भारतीय हार गए, लेकिन भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार समाप्त हो गई । महारानी
विक्टोरिया ने भारत को ब्रिटिश राज्य बना लिया । भारतीय इतिहास में इस समय के भारत
को ब्रिटिश भारत कहा जाता है ।
सामाजिक
सुधार आंदोलन : उन्नीवीं सदी के भारत में ऐसे अनेक कार्यक्रम चलाए गए, जिनका संबंध सामाजिक बुराइयों को खत्म करने से था । इनमें से मुख्य
कार्यक्रम थे –
1.
सती प्रथा का विरोध
2.
विधवा विवाह
3.
स्त्री शिक्षा
4.
सामाजिक ऊँच-नीच का विरोध
ये
आंदोलन देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग संस्थाओं ने चलाए; जैसे—
संस्था |
सुधारक |
काम |
ब्रह्मो समाज |
राजा राम मोहन राय (बंगाल) |
सती-प्रथा का विरोध |
प्रार्थना समाज |
केशव चंद्र सेन (मुंबई) |
विधवा विवाह |
|
ईश्वरचंद्र विद्यासागर (बंगाल) |
विधवा विवाह, स्त्री शिक्षा |
सत्य शोधक समाज |
जोति बा फूले , सावित्री बाई फूले
(महाराष्ट्र) |
दलित स्त्री शिक्षा |
|
पंडिता रमा बाई (महाराष्ट्र) |
स्त्री-शिक्षा |
आर्य समाज |
दयानंद सरस्वती (पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश ) |
धार्मिक सुधार |
आधुनिक
हिंदी साहित्य
· आधुनिक
काल को गद्य काल भी कहते हैं ।
· यह
आधुनिक चेतना के विकास का काल है ।
· हिंदी
में गद्य लिखने की शुरुआत इसी काल में हुई ।
· आधुनिक
काल में साहित्य की भाषा के रूप में खड़ी बोली (मानक हिंदी) का विकास हुआ ।
· आधुनिक
साहित्य मनुष्य-केंद्रित साहित्य है।
· इसने
पहली बार राष्ट्रीयता, सामाजिक जीवन और सामान्य
मनुष्य को केंद्र में रखा।
काल-
विभाजन : हिंदी
साहित्य के आधुनिक काल को निम्नलिखित कालों में बाँट सकते हैं—
1.
भारतेंदु युग (सन् 1850 से
1900 ई.तक)
2.
द्विवेदी युग (सन् 1900 से
1918 ई.)
3.
छायावाद युग (सन् 1918 से
1936 ई.)
4.
प्रगति-प्रयोग युग (सन् 1936
से 1954 ई. तक)
5.
स्वातंत्र्योत्तर साहित्य
(सन् 1947 के बाद)
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