उनका जीवन और कार्य:
सत्यशोधक समाज की स्थापना (1873): फुले ने "सत्यशोधक समाज" की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जातिवाद, धर्मांधता और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना था। यह समाज उन लोगों के लिए था जो समानता और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना चाहते थे।
महिला शिक्षा: फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने पुणे में 1848 में पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया। सावित्रीबाई फुले खुद इस विद्यालय की पहली शिक्षिका बनीं।
सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष: फुले ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई और नीची जातियों के लोगों को शिक्षित कर उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
लिखित कार्य: उनकी प्रमुख कृतियों में गुलामगिरी (1873) शामिल है, जिसमें उन्होंने जातिवादी व्यवस्था की कठोर आलोचना की।
नारी मुक्ति: फुले ने महिलाओं के अधिकारों और उनके आत्मसम्मान के लिए भी संघर्ष किया। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई।
महात्मा फुले का योगदान भारतीय समाज में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 28 नवंबर 1890 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार और आंदोलन आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
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