पंडित बेचन शर्मा 'उग्र' (1899–1967) हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, पत्रकार और व्यंग्यकार थे। वे अपने तीखे व्यंग्य, सामाजिक आलोचना और बोल्ड लेखन के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में नई चेतना और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक मानी जाती हैं।
साहित्यिक योगदान
1. उपन्यास
पंडित बेचन शर्मा 'उग्र' ने हिंदी उपन्यास साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके उपन्यास समाज की विभिन्न समस्याओं को उजागर करते हैं।
- "चॉकलेट" (1927): यह उपन्यास उनकी सबसे चर्चित कृति है, जिसमें समाज में व्याप्त पाखंड और आधुनिक जीवन की बुराइयों को उजागर किया गया है। यह अपने समय में विवादास्पद रहा लेकिन इसे व्यापक सराहना भी मिली।
- "दिल्ली का दलाल": यह उपन्यास भ्रष्टाचार और नैतिक पतन को केंद्र में रखकर लिखा गया है।
- "महात्मा के मूत" (आधार पर आधारित): यह एक व्यंग्यात्मक रचना थी, जो भारतीय समाज और राजनीति पर कटाक्ष करती है।
2. व्यंग्य और कथा साहित्य
उग्र जी व्यंग्य साहित्य के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। उनकी कहानियाँ और व्यंग्य समाज की विसंगतियों और विरोधाभासों को प्रकट करते हैं।
- "कलम का पुजारी": इस कहानी संग्रह में साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया की असलियत को उजागर किया गया है।
- उनकी कहानियों और निबंधों में समाज के पाखंड और परंपराओं पर प्रहार मिलता है।
3. पत्रकारिता
पंडित बेचन शर्मा 'उग्र' ने हिंदी पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और सामाजिक मुद्दों पर लेख लिखे।
- उनके संपादकीय लेख समाज सुधार और सामाजिक न्याय पर आधारित थे।
- उन्होंने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज को जागरूक किया और वंचित वर्गों के अधिकारों की पैरवी की।
4. सामाजिक सुधारक दृष्टिकोण
उग्र जी का लेखन केवल साहित्यिक न होकर सामाजिक सुधार की ओर भी केंद्रित था। उनके लेखन में दलितों, महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों के लिए एक विशेष संवेदनशीलता दिखाई देती है।
5. भाषा और शैली
- उनकी भाषा में व्यंग्य और तीक्ष्णता थी।
- उग्र जी ने सरल, प्रवाहपूर्ण और प्रभावी शैली में लिखा, जिससे उनकी रचनाएँ आम जनता के बीच भी लोकप्रिय हुईं।
विशेषताएँ
- सामाजिक पाखंड, आर्थिक असमानता, और नैतिक पतन पर उनके तीखे व्यंग्य उनकी रचनाओं की विशेषता हैं।
- उन्होंने अपने लेखन से समाज के प्रचलित ढर्रे को चुनौती दी और हिंदी साहित्य में नए विचारों का संचार किया।
समापन
पंडित बेचन शर्मा 'उग्र' ने अपने लेखन से हिंदी साहित्य को नई दिशा दी और समाज के वंचितों के लिए आवाज़ उठाई। उनका साहित्य आज भी प्रासंगिक है और पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य में एक अमूल्य धरोहर हैं।