परिचय:
हिंदी
मध्य भारत की सामान्य बातचीत की भाषा है।
इसका
विकास मध्यकालीन आर्य-भाषा अपभ्रंश से हुआ।
मध्य
भारत के हिंदी-भाषी क्षेत्र को हिंदी प्रदेश कहते हैं।
इस
प्रदेश में बोली जाने वाली अनेक स्थानीय बोलियाँ हैं।
इन
बोलियों के समूह को उपभाषाएँ कहते हैं।
इन
उपभाषाओं का सामूहिक नाम हिंदी है।
हिंदी की उपभाषाएँ :
हिंदी
की पाँच उपभाषाएँ हैं—
1. राजस्थानी
हिंदी
2. पश्चिमी
हिंदी
3. पूर्वी
हिंदी
4. बिहारी
हिंदी
5. पहाड़ी हिंदी
1. राजस्थानी
हिंदी:
राजस्थानी
हिंदी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
इसकी
चार बोलियाँ हैं—
1. मारवाड़ी
(पश्चिमी राजस्थानी)
2. जयपुरी
(पूर्वी राजस्थानी)
3. मेवाती
(उत्तरी राजस्थानी)
4. मालवी
(दक्षिणी राजस्थानी)
2. पश्चिमी हिंदी
पश्चिमी
हिंदी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
इसका
क्षेत्र हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश है।
इसकी
निम्नलिखित बोलियाँ हैं-
1. हरियाणवी
या बाँगरू (हरियाणा राज्य में)
2. कौरवी
या खड़ी बोली( दिल्ली-मेरठ के आसपास)
3. बुंदेली
(बुंदेलखंड : झाँसी के आस-पास)
4. ब्रजभाषा
(मथुरा-आगरा के आस-पास)
कन्नौजी( कन्नौज-फर्रूखाबाद के आस-पास)
3. पूर्वी
हिंदी:
पूर्वी
हिंदी का विकास अर्द्ध-मागधी
अपभ्रंश से हुआ।
इसकी
तीन बोलियाँ हैं—
1.
अवधी (लखनऊ-फैजाबाद के
आस-पास)
2.
बघेली ( बघेलखंड)
3.
छत्तीसगढ़ी (छत्तीसगढ़)
4. बिहारी हिंदी:
बिहारी
हिंदी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बोली जाती है।
बिहारी
हिंदी की मुख्यतः तीन बोलियाँ हैं—
1. भोजपुरी
2. मगही
3. मैथिली
5. पहाड़ी हिंदी :
· भारत
के पहाड़ी हिंदी उत्तराखंड राज्य में बोली जाती है।
· इसकी
दो प्रमुख बोलियाँ हैं—
1.
कुमायूँनी