शुक्रवार, 30 सितंबर 2022

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ ( 1000 ई. के बाद )

 आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ

( 1000 ई. के बाद )
1.      कश्मीरी
2.      हिंदी
3.      मराठी
4.      गुजराती
5.      बंग्ला
6.      उड़िया
7.      असमिया
8.      पंजाबी
9.       सिंधी

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ

समय :   ( 500 ई. पू. 1000 ई. )

(क) पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य,

(ख)प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य
(ग)        अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक)  
·       अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
·       इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं। 
·       इसके बाद के रूप  को अवहट्ठ कहते हैं ।
·       एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
1.      शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
2.      अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
3.      मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
4.      महाराष्ट्री- मराठी ।
5.      ब्राचड़- सिंधी।
6.      पैशाची- पंजाबी
अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ

 प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ

 (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
      संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।
       इसके दो रूप हैं
1.      वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) – वेदों की भाषा ।
2.      लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.)  संस्कृत साहित्य की भाषा ।
      संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है।
      भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है।
       वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है ।
      रामायणमहाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।

भारतीय आर्य-भाषाएँ

 भारतीय आर्य-भाषाएँ

      भारतीय आर्य भाषाओं का संबंध भारोपीय भाषा परिवार की भारत-ईरानी शाखा से है।
      इसकी दो शाखाएँ थीं
1.      भारतीय आर्य भाषाएँ
2.      ईरानी आर्य भाषाएँ
      भारत में आर्य भाषाओं का विकास तीन सोपानों में माना जाता है
1.      प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ :     (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
2.      मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ : (500 ई. पू. 1000 ई. )
3.      आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ      (सन् 1000 ई.से अब तक )

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ
 (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
      संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।
       इसके दो रूप हैं
1.      वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) – वेदों की भाषा ।
2.      लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.)  संस्कृत साहित्य की भाषा ।
      संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है।
      भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है।
       वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है ।
      रामायणमहाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ
( 500 ई. पू. 1000 ई. )
(क) पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य
(ख)प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य
(ग)        अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक)  
·       अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
·       इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं। 
·       इसके बाद के रूप  को अवहट्ठ कहते हैं ।
·       एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
1.      शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
2.      अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
3.      मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
4.      महाराष्ट्री- मराठी ।
5.      ब्राचड़- सिंधी।
6.      पैशाची- पंजाबी
अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।

आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ
( 1000 ई. के बाद )
1.      कश्मीरी
2.      हिंदी
3.      मराठी
4.      गुजराती
5.      बंग्ला
6.      उड़िया
7.      असमिया
8.      पंजाबी
9.       सिंधी

आर्य भाषा परिवार

 भारोपीय भाषा परिवार

(आर्य भाषा परिवार )
         


योरोपीय भाषाएँ                                                                                        भारत- ईरानी भाषा परिवार 
(जर्म, लैटिन, ग्रीक, फ्रेंच, अँग्रेजी आदि)
 

                        भारतीय आर्य भाषाएँ                                                           ईरानी आर्य भाषाएँ

                                    संस्कृत                                                           ऑवेस्ता की भाषा (मिडी) )

भारतीय आर्य-भाषाएँ
      भारतीय आर्य भाषाओं का संबंध भारोपीय भाषा परिवार की भारत-ईरानी शाखा से है।
      इसकी दो शाखाएँ थीं
1.      भारतीय आर्य भाषाएँ
2.      ईरानी आर्य भाषाएँ
      भारत में आर्य भाषाओं का विकास तीन सोपानों में माना जाता है
1.      प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ :     (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
2.      मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ : (500 ई. पू. 1000 ई. )
3.      आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ      (सन् 1000 ई.से अब तक )

हिंदी का क्षेत्र-विस्तार


·       हिंदी का मानक रूप मेरठ और दिल्ली के आस-पास की बोली (खड़ी बोली) का विकसित रूप है।
·       इसका वास्तविक क्षेत्र-विस्तार पूरा मध्य भारत है।
·       हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंडहरियाणाराजस्थानमध्यप्रदेशछ्त्तीसगढ़झारखंडबिहार और उत्तर प्रदेश को हिंदी-क्षेत्र कहा जाता है ।

हिंदी का वर्तमान

 हिंदी का वर्तमान

·       हिंदी मध्य भारत की सामान्य बातचीत की भाषा है ।
·       यह मध्य भारत की अनेक उपभाषाओं और बोलीयों को आपस में जोड़ने वाली भाषा है।
·        हिंदी अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले भारतीयों के बीच संपर्क की भाषा है ।
·       यह तत्सम हिंदीउर्दूहिंदुस्तानीदक्खिनी हिंदी आदि के रूप में लगभग पूरे भारत में बोली और समझी जाती है ।

हिंदी भाषा का नामकरण और क्षेत्र-विस्तार

 हिंदी भाषा का नामकरण और क्षेत्र-विस्तार

हिंदी भाषा का अर्थ-
·       हिंदी भाषा का अर्थ है हिंद की भाषा।  
·       हिंद  फारसी भाषा का शब्द है ।
·       फारसी में  का उच्चारण  होता है।
·       भारत में बहने वाली सिंधु नदी को फारस (ईरान) के लोगों ने हिंदु कहा और उसके क्षेत्र को हिंद ।
·       सिंधु नदी का क्षेत्र ईरान के अधिक पास था । ईरानी लोग इसी क्षेत्र के निवासियों के द्वारा भारत के संपर्क में आये। इसलिए वे सिंधु नदी के पूरब और दक्षिण के पूरे क्षेत्र को हो हिंद कहने लगे ।
·       भारत का एक पुराना नाम हिंद या हिंदुस्तान (हिंदु-स्थान) भी है ।
·       हिंदी हिंद (भारत) की भाषा का नाम है ।