शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

हिंदी-प्रदेश : हिंदी की उपभाषाएँ और बोलियाँ

परिचय:
  हिंदी मध्य भारत की सामान्य बातचीत की भाषा है।
  इसका विकास मध्यकालीन आर्य-भाषा अपभ्रंश से हुआ।
  मध्य भारत के हिंदी-भाषी क्षेत्र को हिंदी प्रदेश कहते हैं।
  इस प्रदेश में बोली जाने वाली अनेक स्थानीय बोलियाँ हैं।
  इन बोलियों के समूह को उपभाषाएँ कहते हैं।
  इन उपभाषाओं का सामूहिक नाम हिंदी है।
हिंदी की उपभाषाएँ : 
हिंदी की पाँच उपभाषाएँ हैं
1.      राजस्थानी हिंदी
2.      पश्चिमी हिंदी
3.      पूर्वी हिंदी
4.      बिहारी हिंदी
5.      पहाड़ी हिंदी
1.     राजस्थानी हिंदी:
  राजस्थानी हिंदी का विकास  शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
         इसकी चार बोलियाँ हैं
     1.      मारवाड़ी (पश्चिमी राजस्थानी)
     2.      जयपुरी (पूर्वी राजस्थानी)   
     3.      मेवाती (उत्तरी राजस्थानी)
     4.      मालवी (दक्षिणी राजस्थानी)


2.     पश्चिमी हिंदी
  पश्चिमी हिंदी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ।
  इसका क्षेत्र हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश है।
  इसकी निम्नलिखित बोलियाँ हैं-

1.      हरियाणवी या बाँगरू (हरियाणा राज्य में)
2.      कौरवी या खड़ी बोली( दिल्ली-मेरठ के आसपास)
3.      बुंदेली (बुंदेलखंड : झाँसी के आस-पास)
4.      ब्रजभाषा (मथुरा-आगरा के आस-पास)
कन्नौजी( कन्नौज-फर्रूखाबाद के आस-पास)


3.     पूर्वी हिंदी:
  पूर्वी हिंदी का विकास अर्द्ध-मागधी
 अपभ्रंश से हुआ।
  इसकी तीन बोलियाँ हैं
1.      अवधी (लखनऊ-फैजाबाद के आस-पास)
2.      बघेली ( बघेलखंड)
3.      छत्तीसगढ़ी (छत्तीसगढ़)

4.     बिहारी हिंदी:
  बिहारी हिंदी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बोली जाती है।
  बिहारी हिंदी की मुख्यतः तीन बोलियाँ हैं—
1.      भोजपुरी
2.      मगही
3.      मैथिली



5.     पहाड़ी हिंदी :
·       भारत के पहाड़ी हिंदी उत्तराखंड राज्य में बोली जाती है।
·       इसकी दो प्रमुख बोलियाँ हैं—
1.      कुमायूँनी
2.      गढ़वाली


बुधवार, 1 अप्रैल 2020

हिंदी भाषा का नामकरण और क्षेत्र-विस्तार


हिंदी भाषा का अर्थ-
·       हिंदी भाषा का अर्थ है हिंद की भाषा।  
·       हिंद  फारसी भाषा का शब्द है ।
·       फारसी में का उच्चारण होता है।
·       भारत में बहने वाली सिंधु नदी को फारस (ईरान) के लोगों ने हिंदु कहा और उसके क्षेत्र को हिंद ।
·       सिंधु नदी का क्षेत्र ईरान के अधिक पास था । ईरानी लोग इसी क्षेत्र के निवासियों के द्वारा भारत के संपर्क में आये। इसलिए वे सिंधु नदी के पूरब और दक्षिण के पूरे क्षेत्र को हो हिंद कहने लगे ।
·       भारत का एक पुराना नाम हिंद या हिंदुस्तान (हिंदु-स्थान) भी है ।
·       हिंदी हिंद (भारत) की भाषा का नाम है ।
हिंदी  शब्द  का हिंदी भाषा  के  अर्थ में  प्रयोग -
·       फारसी में हिंदी (जबान-ए-हिंदी) का प्रयोग भारत की सभी भाषाओं के लिए हुआ हुआ है।
·        भारत में हिंदवीया हिंदीशब्द का प्रयोग अमीर खुसरू ( सन् 1253-1325 ई.) ने किया।
·         खुसरो की हिंदीया हिंदवीका अर्थ थामध्य भारत में बोली जाने वाली देशी भाषा।
·       सोलहवीं सदी में जायसी ने भी भाषा के लिए हिंदवी  का प्रयोग किया था।
·        अठारहवीं शताब्दी के आसपास हिंदी’, ‘हिंदुस्तानी’, ‘हिंदवी भाषा हिंदी और उर्दू दो अलग भाषाओं में बँट गई।
·        हिंदी में देशी भाषा के शब्द अधिक थे और उर्दू में अरबीफारसी के शब्दों की अधिकता थी।
·       सन् 1800 ई. फोर्ट  विलियम कॉलेज  कलकत्ता  में हिंदुस्तानी भाषा का एक नया विभाग शुरु हुआ।
·       उसके बाद भाषा के अर्थ में हिंदुस्तानी शब्द का प्रयोग होने लगा ।
हिंदी का वर्तमान
·       हिंदी मध्य भारत की सामान्य बातचीत की भाषा है ।
·       यह मध्य भारत की अनेक उपभाषाओं और बोलीयों को आपस में जोड़ने वाली भाषा है।
·      
 हिंदी अलग-अलग भाषाएँ बोलने वाले भारतीयों के बीच संपर्क की भाषा है ।
·       यह तत्सम हिंदी, उर्दू, हिंदुस्तानी, दक्खिनी हिंदी आदि के रूप में लगभग पूरे भारत में बोली और समझी जाती है ।
हिंदी का क्षेत्र-विस्तार
·       हिंदी का मानक रूप मेरठ और दिल्ली के आस-पास की बोली (खड़ी बोली) का विकसित रूप है।
·       इसका वास्तविक क्षेत्र-विस्तार पूरा मध्य भारत है।
·       हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छ्त्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश को हिंदी-क्षेत्र कहा जाता है ।




हिंदी भाषा का विकास

भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है । मनुष्य अपने भावों की अभियक्ति के लिए जिस वाचिक माध्यम का प्रयोग करता है, वह भाषा है। यह मनुष्य की जरूरतों के अनुसार परिवर्तित और विकसित होती रही है। इसलिए यह बताना मुश्किल है कि भाषा की शुरुआत कब और कैसे हुई।

 

भारत में भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ लिखित भाषा का सबसे पुराना साक्ष्य (Evidence) सिंधुघाटी सभ्यता से मिलता है । इसे अब तक पढ़ा नहीं जा सका है। संस्कृत भारत की सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है । भाषा वैज्ञानिकों ने इसका संबंध भारोपीय भाषापरिवार से माना है। इस परिवार को आर्य भाषा परिवार भी कहते हैं। यह विश्व  का सबसे बड़ा भाषा परिवार है। संस्कृत, जर्मन, फ्रैंच, ग्रीक, लैटिन, अँग्रेजी, स्पेनिश, रुसी, ईरानी – जैसी विश्व की अनेक भाषाओं का संबंध इसी परिवार से है। भारत-ईरानी परिवार इसी परिवार की एक मुख्य शाखा है। संस्कृत और ऑवेस्ता इस परिवार की मुख्य भाषाएँ हैं। आगे चलकर भारतीय और ईरानी भाषाएँ अलग हो गईं । हिंदी का संबंध इन भारतीय आर्य भाषाओं से है।


भारोपीय भाषा परिवार
(आर्य भाषा परिवार )





1. योरोपीय भाषाएँ    (जर्मन, लैटिन, ग्रीक, फ्रेंच, अँग्रेजी आदि)                                                                            
2. भारत- ईरानी भाषा परिवार




  i  भारतीय आर्य भाषाएँ         ( संस्कृत  )                                     
                                 ii  ईरानी आर्य भाषाएँ ( ऑवेस्ता की भाषा/मिडी )

भारतीय आर्य-भाषाएँ

     

      इसकी दो शाखाएँ थीं

1.      भारतीय आर्य भाषाएँ
2.      ईरानी आर्य भाषाएँ

      भारत में आर्य भाषाओं का विकास तीन 
सोपानों में माना जाता है

 

1.      प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ :     (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
2.      मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ : (500 ई. पू. 1000 ई. )
3.      आधुनिक भारतीय आर्यभाषाएँ :      (सन् 1000 ई.से अब तक )

प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ
 (1500 ई.पू. से 500 ई. पू. ) 
      संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक माना जाता है।

       इसके दो रूप हैं
1.      वैदिक संस्कृत या छांदस् ( 1500 ई. पू. से 800 ई.पू ) वेदों की भाषा ।
2.      लौकिक संस्कृत (800 ई. पू. से 500 ई.पू.) संस्कृत साहित्य की भाषा ।
      
संस्कृत को देववाणी (देवभाषा) कहा जाता है। भारत के प्राचीन (पुराने) साहित्य की भाषा संस्कृत है। वैदिक संस्कृत में वेद लिखे गए जो विश्व का सबसे पुराना साहित्य है । रामायण, महाभारत और पुराणों की भाषा लौकिक संस्कृत है।

मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ
( 500 ई. पू. 1000 ई. )
(क) पालि ( ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी से ईस्वी सन् की पहली शताब्दी तक )— बौद्ध साहित्य

(ख)प्राकृत (पहली से छठवीं शताब्दी ईस्वी तक )— जैन साहित्य

(ग)        अपभ्रंश ( छ्ठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी ईस्वी तक) 
 
·       अपभ्रंश पूरे उत्तर और मध्य भारत में बातचीत की भाषा थी।
·       इसमें जैन धर्म और व्याकरण के अनेक ग्रंथ मिलते हैं। 
·       इसके बाद के रूप  को अवहट्ठ कहते हैं ।
·       एक बड़े क्षेत्र में बोली जाने के कारण इसके कई रूप थे –
1.      शौरशेनी- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी हिंदी (कुमाउँनी, गढ़वाली), राजस्थानी, गुजराती,
2.      अर्द्ध मागधी- पूर्वी हिंदी
3.      मागधी- बंगला, उड़िया, असमिया, बिहारी हिंदी
4.      महाराष्ट्री- मराठी ।
5.      ब्राचड़- सिंधी।
6.      पैशाची- पंजाबी

 अपभ्रंश की इन्हीं शाखाओं से आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म हुआ।


आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ
( 1000 ई. के बाद )
भारत का भाषा मानचित्र
   
1.  कश्मीरी
    2.      हिंदी
    3.      मराठी
      4.      गुजराती

5.      बंग्ला
6.      उड़िया
7.      असमिया
8.      पंजाबी
9.       सिंधी