गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

जायसी

 

जायसी सूफी (प्रेमाश्रयी/प्रेममार्गी) कवि थे । उनका पूरा नाम मलिक मुहम्मद जायसी था । उनका जन्म सन्1492 में जायस नगर में हुआ था । पद्मावतउनकी प्रसिद्ध पुस्तक है । पद्मावतमें राजा रतनसेन और पद्मावती की प्रेम-कथा  है । रतन सेन चित्तौड़ का राजा था और पद्मावती सिंघल द्वीप (श्रीलंका) की राजकुमारी।पद्मावतअवधी बोली में लिखी गई है।

जायसी के विचार :

1.      प्रेम संबंधी विचारमानुस पेम भयउ बैकुंठी। नाहिं त काह छार भरि मूठी।

2.      गुरु संबंधी विचारगुरु सुआ जेहि पंथ दिखावा बिनु गुरु कृपा को निरगुन पावा।

3.      ब्रह्म संबंधी विचार पद्मावती ईश्वर का प्रतीक है और रतनसेन जीव (मनुष्य) का।

4.      जायसी नागमती का वियोग वर्णन के लिये प्रसिद्ध हैं।

5.      नागमती के वियोग वर्णन में बारहमासा का प्रयोग है।

6.      बारहमासा वियोग के दुःख को बताने वाला एक काव्य है।

7.      पद्मावत मसनवी (सूफी) शैली का काव्य है ।

बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

कबीर


 कबीर

संत कबीर का जन्म बनारस में संवत् 1455 (1398 ई.) में हुआ था । इन्हें नीरू और नीमा नाम के जुलाहा दंपति ने पाला था । कबीर जुलाहे का काम करते थे । वे ज्ञानमार्गी/ज्ञानश्रयी कवि थे । कबीर अशिक्षित (मसि कागद छूयो नहीं  कलम गही नहिं हाथ) । 

कबीर की वाणी का संकलन बीजकमें है । इसके तीन खंड हैं1. साखी, 2. सबद 3. रमैनी।

कबीर के विचार  :

1.      कविता के बारे में – तुम जिन जानो गीत है वह निज ब्रह्म विचार।

2.      निर्गुण ब्रह्म के बारे में  जाके मुख माथा नहीं नाहीं रूप कुरूप।

पुहुप बास तैं पातरा ऐसो तत्त अनूप ।

3.      ब्रह्म को प्रेमी माना और अपने को प्रेयसी हिरि मोरे पिउ मैं राम की बहुरिया।

4.      प्रेम को महत्व कबीर यह घर प्रेम का खाला का घर नहिं।

5.      मूर्ति-पूजा का विरोध  पाहन पूजे हरि मिलें तौ मैं पूजूँ पहार।

6.      हिंदू-मुस्लिम एकता  हिंदू मुए राम कहि मुसलमान खुदाई।

7.      गुरु का महत्व गुरु गोबिंद दोऊ खड़े काके लागूँ पाँय।

शनिवार, 5 सितंबर 2020

निर्गुण भक्ति

 

निर्गुण भक्ति की विशेषताएँ :

      निर्गुण कवियों ने निर्गुण ब्रह्म की उपासना की।

      उन्होंने अवतारवाद को अस्वीकार कर दिया।

      निर्गुण कवि मूर्ति-पूजा का विरोध करते थे।

      ब्रह्म (ईश्वर/भगवान) को प्रत्येक मनुष्य के भीतर माना।

      ज्ञान और प्रेम को ब्रह्म तक पहुँचने का रास्ता माना।  

      इन्होंने गुरु को महत्त्व दिया।

       सभी मनुष्यों में समानता को महत्व दिया।

      निर्गुण भक्ति की दो शाखाएँ थीं

क.    ज्ञानाश्रयी/ज्ञानमार्गी

ख.    प्रेमाश्रयी/प्रेममार्गी

क.    ज्ञानाश्रयी/ज्ञानमार्गी :

1.      ज्ञानाश्रयी भक्ति काव्य को संतकाव्य भी कहते हैं।

2.      इसमें ज्ञान और योग (साधना) के द्वारा ब्रह्म की उपासना पर बल दिया गया है।

3.      शंकराचार्य के अद्वैतवाद और इस्लाम के एकेश्वरवाद का प्रभाव।

4.      सिद्धों और नाथों की साधना का प्रभाव।

5.      बाहरी आचारमूर्ति-पूजा, नाम-जप, तीर्थाटन आदि का विरोध।

6.      हिंदी की कई बोलियों से मिली-जुली भाषा का प्रयोग।

7.      जाति-पाँति, ऊँच-नीच का विरोध।

8.      प्रमुख कवि- कबीर, नानक, दादू, रैदास आदि।

ख.   प्रेमाश्रयी/प्रेममार्गी :

1.      इसे सूफी कविता भी कहते हैं।

2.      ये कवि ईरानी सूफी दर्शन से प्रभावित थे।

3.      इन्होंने प्रेम को ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता माना।

4.      सूफी कविता में ईश्वर को प्रेयसी और जीव(मनुष्य) को प्रेमी माना गया है।

5.      पूरी दुनिया उसी प्रेयसी के रूप का प्रतिविंब है।

6.       भारतीय लोक-कथाओं को आधार बनाकर प्रबंध काव्य की रचना।

7.       प्रमुख कविजायसी, कुतुबन, मंझन, उस्मान आदि।